Friday 29 April 2011

शादीशुदा रिया



प्रेषक : स्वयम्
मेरा नाम स्वयम् है, मैं पुणे का रहने वाला हूँ। मैं एक सॉफ्टवेयर कंपनी मैं काम करता हू। जो पुणे के हिन्जेवादी आईटी पार्क एरिया में है।
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है।
रोज की तरह मैं अपनी बाईक से शाम को सात बजे घर जाने के लिए निकला। रास्ते में काफी भीड़ होने के कारण मैं बाईक काफी धीरे चला रहा था। बस स्टॉप के पास एक लड़की दिखी जिसकी उम्र 28-29 साल होगी। उसका कद 5 फुट 2 इंच, बदन बहुत आकर्षक था। उसने मुझे बहुत प्रभावित किया। देख कर लगता था कि उसकी नई नई शादी हुई थी। वो साड़ी में क्या खूब लग रही थी, बिल्कुल परफेक्ट फिगर।
मैंने उनको देखकर लिफ्ट देने का इशारा किया, वह धीरे से मुस्कुरा दी। फिर मैंने भीड़ से थोड़ी दूर अपनी बाईक रोक दी।
वो मेरे पास आकर बोली- मेरी ऑफिस-बस छूट गई है। कृपया मुझे थोड़ी दूर तक छोड़ सकते है क्या ?
मैंने हाँ कर दी।
वो मेरी बाईक पर बड़ी मुश्किल से बैठ पाई क्योंकि मेरे पास यामाहा एंटआयिसर बाईक है जिसकी सीट काफी छोटी होती है। आगे काफी लम्बा रास्ता जाम था जो कि उस क्षेत्र में आम बात है। मैंने उससे थोड़ा लम्बा रास्ता लेने को कहा तो वो तैयार हो गई।
रास्ते में मैंने उससे बातचीत करना शुरू की। बातों ही बातों में उसने बताया कि उसका नाम रिया शर्मा है जो मैं पहले ही उसके कंपनी आईडी कार्ड में देख चुका था।
और उसने बताया कि उसके पति भारत में नहीं हैं वो अमेरिका गए हुए हैं, उसको गए हुए दो महीने हो गए हैं और शायद अगले छ: महीने तक नहीं आ सकते हैं।उसने बताया कि वो यहाँ अपनी दोस्तों के साथ फ्लैट में रहती है। अचानक बारिश शरू हो गई और हम सर छुपाने के लिए एक चाय की टापरी में चले गए, वहाँ हमारे साथ काफी लोग और भी थे। मैंने दो कॉफी का आर्डर दे दिया। बारिश के कारण सर्दी ज्यादा ही लग रही थी। फिर उसने मेरे बारे में पूछना चालू किया। मैंने उसे बताया कि मैं इंदौर का रहने वाला हूँ और यहाँ मैं एक रूम-किचन का फ्लैट लेकर रहता हूँ।
फिर बारिश बंद हो गई और मैंने उसको घर छोड़ दिया। मैंने उसे कहा कि मैं भी इसी समय ऑफिस से निकलता हूँ अगर आपकी फिर कभी बस मिस हो जाए तो मुझे कॉल कर दीजिएगा, अगर मैं ऑफिस में रहा तो आपको ले लूँगा। उसने मेरा नंबर ले लिया और फिर मैं अपने घर आ गया।
उस रात उसको याद कर कर के 3-4 बार मुठ मारनी पड़ी। मैंने उसके वक्ष और गांड के बारे में सोच सोच कर मुठ मारी।
अगले एक सप्ताह मैं उसके ऑफिस के सामने से काफी रुक-रुक कर निकलता था पर शायद मेरी किस्मत काफी खराब थी। मैंने उनका नाम ऑरकुट और फेसबुक में ढूंढा पर रिया शर्मा नाम से 40 लड़कियाँ मिली। उसमें से एक मुझे काफी सुन्दर लड़की की प्रोफाइल में उसका फोटो दिखा, शायद शादी के पहले का फोटो था। मैंने उसे मित्रता-प्रार्थना भेजी और साथ में लिख दिया उस दिन लिफ्ट देने की बात।
उसी शाम को मैंने उसे अपनी फ्रेंड लिस्ट में देखा। मैं काफी सुकून महसूस कर रहा था शायद मैंने अपनी मंजिल की ओर पहला कदम बढ़ा लिया था।
अगले दिन शाम को वो मुझे ऑनलाइन फ़्रेंड्स की लिस्ट में दिखी। फिर मैंने उससे काफी अच्छी फ्रेंडशिप कर ली। अपने ऑफिस मेल आईडी से भी मैं उसे मेल करने लगा।
एक दिन फिर उसने मुझे कॉल किया और कहा कि आज उसे घर जल्दी जाना है इसलिए क्या मैं उसे छोड़ सकता हूँ?
मैं उस दिन ऑफिस नहीं आया था पर मैंने कहा कि हाँ जरूर ! आपके ऑफिस के पास आकर आपको कॉल कर दूंगा और उनका नंबर सेव कर लिया।
फिर मैं उसके ऑफिस से उसे लिया। आज उसने जींस-टॉप पहना हुआ था। उसने बताया कि आज उन्हें कुछ शॉपिंग करने ऍफ़सी रोड जाना है।
मैंने उसको कहा- मुझे भी कुछ काम से उसी तरफ जाना है।
उसको ऍफ़सी रोड छोड़ने के बाद मैं वहाँ अपने एक दोस्त के घर चला गया। एक घंटे के बाद मैंने उनको कॉल किया और कहा- मैं अभी भी ऍफ़ सी रोड पर ही हूँ, अगर घर चलना हो तो बता दो।
उसने मुझे 15 मिनट बाद सी सी डी पर मिलने को कहा। हमने वह काफी पी और अपने घर की तरफ चल पड़े। सामान ज्यादा होने के कारण उसे पैर क्रॉस करके बैठना पड़ा। रास्ते भर मुझे काफी मज़ा आया। जिस रास्ते से हम आ रहे थे वहाँ से मेरा घर नज़दीक पड़ता था। मैंने उनको अपने घर आने को कहा, काफी जोर देने पर वह तैयार हो गई।
हम मेरे फ्लैट में आये तो मैंने उसको कहा- उस दिन मुझे पता नहीं था कि तुम शादीशुदा हो, इसलिए मैंने तुम्हें लिफ्ट दी थी।
वह मुस्कुरा दी और कहा- तो सिर्फ आप कुँवारी लड़कियों को लिफ्ट देते हैं?
मैंने कहा- नहीं ! मैं हर खूबसूरत लड़की को लिफ्ट देता हूँ !
मैंने उससे दो मिनट का समय माँगा और पिज्जा-हट कॉल करके दो वेज पिज्जा का आर्डर दे दिया। वह कुछ समझ पाती उससे पहले ही मैंने कॉल कट कर दिया। यह मेरा तरीका था उनको आधे घंटे रोकने का। समय बिताने के लिए मैंने अपना पीसी चालू किया और उसे अपने और मेरे घर वालो के फोटो दिखाने लगा। उन्हें भी खूब मज़ा आ रहा था।
फिर मैंने उनको अपने मॉडलिंग वाले फोटो भी दिखाए। मेरे बिना शर्ट वाले चित्रों की उसने खूब तारीफ की। उसने कहा कि मैं बहुत हैण्डसम दिखता हूँ।
उसकी आँखों में अजीब सा इशारा था। उसने मुझ से पूछा कि मेरी कोई गर्ल-फ़्रेन्ड है क्या?
मैंने कहा- नहीं !
उसने पूछा- कोई मिली क्यों नहीं अभी तक?
मैंने कहा- जो मिली, उसकी शादी हो चुकी है।
वो मेरा इशारा समझ गई और कहा- तुम किसकी बात कर रहे हो?
तो मैंने कहा- तुम मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड बन सकती हो ?
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।
उसने हाथ छुड़ा कर मुझे प्यार से डाँट दिया और शरमा गई। वह शरमाई तो मैंने देर नहीं की और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अपनी बाहों में भर लिया।
मेरे अचानक इस तरीके से वो थोड़ा घबरा सा गई।
फिर मैंने सॉरी बोल कर कहा- मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ, अपने आप को रोक नहीं पाया।
मेरी आँखे ग्लानि से झुक गई। फिर उसने मेरा हाथ पकड़कर कहा- मुझे भी तुम अच्छे लगते हो ! पर मैं शादीशुदा हूँ हमारी इस दोस्ती को कोई भी अच्छा नहीं समझेगा।
मैंने कहा- यह बात किसी को पता नहीं चलेगी।
मन ही मन मैं भी उसकी बहुत इज्जत करने लगा था क्योंकि उसने मुझ पर भरोसा रखा और मेरे घर आई।
मैंने कहा- मैं तो आपका साथ चाहता हूँ बस ....... पिज्जा तो एक बहाना है आपको यहाँ रोकने का ! मैंने कोई पिज्जा आर्डर नहीं किया था ..... मैंने सच सच बोल दिया।
उन्होंने कहा- एक आप हैं जो मेरा साथ चाहते हैं और मेरे पति को मुझसे कोई मतलब ही नहीं है, शादी के दो सप्ताह बाद ही वो अमेरिका वापस चले गए यह बोलकर कि मेरा आश्रित वीजा बनवा लेंगे और मुझे वह बुला लेंगे ...
वो मायूस हो गई...
फिर उसकी आँखों में आंसू आ गए।
मैंने उनके गाल पर चूम कर उन आसुओं को अपने होंठों से पी लिया और अपनी बाहों में भर लिया।
फिर क्या था, मुझे आज्ञा मिल गई और मैंने उसके चेहरे से उसके हाथ हटा कर उसके गाल पर चूम लिया। तो उसने अपनी आंखें बंद कर ली। मैं उसके गालों से उसके होंठों पर चूमने लगा और वो भी धीरे-धीरे मेरा साथ देने लगी।
मैं उसके ऊपर लेट गया उसकी टॉप में से उसके स्तन हाथ में लेकर मसलने लग गया। वो सिसकारियाँ भरने लगी, उसने मुझे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया।
बस फिर क्या था, मैं चूमता गया उसकी आँखों, माथे और फिर नीचे की ओर गले में, सब जगह ! बस उसने आँखें बंद कर ली।
फिर मैंने अपने होंटों को उसके पेट पर रख दिया और उनकी नाभि को चाटने लगा। धीरे धीर मैंने उसका टॉप ऊपर कर दिया और उतार दिया। वो काली ब्रा और जींस में क्या लग रही थी !
ब्रा खोलते ही उसके दोनों स्तन बाहर आ गए। दूध सा सफ़ेद गोरा स्तन और बीच में गुलाबी चुचूक देखते ही मेरी जीभ लपलपाने लगी और फिर मैं दोनों हाथों से उसकी चूची को मसलने लगा ....
वो मदहोश होने लगी, उसकी आँखें बंद हो गई ..मैं उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसके मुँह से सिसकियाँ निकल रहीं थीं। मैंने अपना हाथ जब उसकी जींस में डाला तो जाना कि उसकी पैन्टी आगे से पूरी गीली थी। फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। मैंने उसकी जींस और पैन्टी उतार दी और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत एकदम गुलाबी और बिना बालों की थी ।
उसकी चूत काफी टाईट थी। मैं अंगुली को धीरे धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, इससे उसको मजा आने लगा क्योंकि वो कामुक सिसकारियाँ लेने लगी थी।
फिर मैंने अपना लंड उसको पकड़ा दिया, वो मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर मैंने उसको मेरा लंड को मुँह में लेने को कहा तो उसने साफ़ मना कर दिया। मेरी इच्छा अधूरी रह गई। पर मैं समझ सकता था कि सबके सेक्स करने का तरीका अलग अलग होता है इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया। हाँ, मैंने उसकी चूत का हर हिस्सा अच्छे से चूसा था। चूत के दाने पर ही मैं 15 मिनट तक डटा रहा था।
इसके बाद मैंने रिया को सीधा लिटा दिया और उसकी टांगों को ऊपर उठा कर अपना लंड उसकी चूत से सटा दिया, मैं अपने लंड को उनके दाने पर मलने लगा ... जो ख़ुशी मुझे मिल रही थी उसको मैं बयान नहीं कर सकता। फिर एक जोर से धक्का मार कर लंड को आधा अन्दर सरका दिया। वो इस धक्के को सहन नहीं कर पाई और चीखने लगी।
मैं समझ गया कि वो अभी तक अच्छे से नहीं चुदी है।
उसके बाद मैं उसको सहलाने लगा, उसके शरीर को चूमने लगा, इससे उसका दर्द कुछ कम हुआ और वो भी नीचे से कमर उचकाने लगी।
उसका दर्द अब थोड़ा कम हो गया था। अब वो भी चुदाई में साथ देने लगी और अपने चूतड़ों को उठा उठा कर धक्के लगाने लगी। मेरे भी धक्के तेज होने लगे थे। पूरे कमरे में बस सी... सी.... आह..... आह्...... की आवाजें सुनाई दे रही थी।
मैं भी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था। अब मैने रिया को अपने ऊपर लिया और उसकी चूत में अपने लंड को पेल दिया। अब वो मुझे चोद रही थी। मैं भी उनके चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे से धक्के लगा रहा था।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उनका शरीर अकड़ने लगा मुझे पता चल गया कि अब वो झड़ने वाली है।
मैं झटके से उसके ऊपर आ गया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। उसने मेरे सारे बदन को जकड़ लिया। मेरे शरीर पर उसके नाखूनों के खरोंचों के निशान पड़ चुके थे। ज़ोर से आवाज करती हुई वो झड़ गई।
अब मैंने और ज़ोर से धक्के लगाने शुरु कर दिये। करीब दस मिनट तक मैं उसको चोदता रहा अब मैं भी झड़ने के करीब आ रहा था। मैंने उसके दोनों स्तनों को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्के लगाते हुए झड़ गया और उसके ऊपर ही निढ़ाल पड़ गया।
काफ़ी देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे फिर उसने बाथरूम में जाकर अपने आप को साफ़ किया। पता नहीं क्यों, वो मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी।
मैं समझ गया और उसको बाहों में लेकर एक प्यारा सा किस किया और समझाया कि यह सब जरुरत है, आपने कुछ गलत काम नहीं किया है।
आखिर वो समझ ही गई ..
फिर हम लगभग हर सप्ताहांत पर चुदाई करते थे क्योंकि काम के दिनों पर उसे जल्दी फ्लैट पर जाना होता था।
फिर अचानक उसके पति ने उन्हें अमेरिका बुला लिया। अभी भी उसके ऑफिस से सामने मेरी बाईक धीमी हो ही जाती है।
आखिर मैं समझ गया कि अब शायद ही उनसे मुलाकात हो इसलिए तलाश कर रहा हूँ कि फिर कोई लिफ्ट मांगे उसी रास्ते पर.... अलविदा दोस्तो ..

बरसों की प्यास



प्रेषक : दीज़ान मूलर
मैं 52 की हो चुकी हूँ, उनका अभी साठवाँ लगा है लेकिन हमने करीब पिछले 5 साल में एक बार भी सेक्स नहीं किया। हम दोनों तो अब भाई-बहन जैसे रहते हैं। हम दोनों अकेले रहते हैं, ज़्यादा बाहर नहीं जाते।
घर में एक काम वाली बाई है बस। मैंने एक बार कहीं पढ़ा था कि दिए की लौ बुझने से पहले बड़ी ज़ोर धधकती है। उसी तरह बुढ़ापे से पहले अंतिम सेक्स बहुत कमाल का होता है। पर इनका तो मन ही नहीं लगता इन सब में। मैं बेचारी तड़पती रह जाती हूँ।
उस किताब में ही मैंने लंड के तरह तरह के फोटो देखे थे। तब से मैं हर शाम बैंगन और केले लाने लगी। अब तो बैंगन कम बनते थे, उससे ज़्यादा मैं उन्हें अपने बुर में डाल कर खराब करने लगी थी। थोड़े दिन के बाद में नर्म मोमबत्तियाँ लाने लगी, उन्हें बुर में डालने में असीम आनंद आता है- थोड़ा-थोड़ा करके अंदर लो, फिर एक झटके में पूरा। मोमबत्ती से पूरी बुर खुरच लो।
लेकिन असली लंड की प्यास रह गई। इनका तो 5 इंच का है, वैसे भी कभी नहीं भाया। मुझे नये लंड की तलाश थी।
हम मोहल्ले में रहते हैं, लोक-लाज के कारण घर में किसी मर्द को बुला कर चुदवा नहीं सकती। मुझे तब नज़र में आया, अपनी बाई का छोरा। साला अभी बीस का हुआ होगा, उसे तो अभी चोदना भी नहीं आता होगा, वो मेरे पंजे में आसानी से आ जाएगा।
मैंने बाई को उसे काम देने की बात बोल कर अकेले में एक दिन भेजने के लिए कहा। उस दिन पति देव महाराज परदेस की यात्रा पर निकले थे। मैंने बाई को दो दिन की छुट्टी दे दी।
भोलू शाम के चार बजे के करीब आया। मैं पहले से भरी बैठी थी, सब्र करना मुश्किल हो रहा था, लेकिन बिना फंसाए चुदने में भी कोई आनंद कहाँ?
मैं चौकी पर बैठी थी। अंजान बनते हुए मैंने अपना आँचल गिरा दिया। मेरे बड़े बड़े स्तन बस बाहर निकलने को तैयार थे।
"आजकल का जमाना खराब हो गया है। कल परसों मैंने अंजान आदमी को अपने रास्ते घूमते देखा। अब बताओ कि कोई शरीफ आदमी कैसे चले? कल परसों की ही बात ले लो। वो पड़ोस की विमला ! राह चलते किसी ने उसके दबा दिए। ऐ भोलू, तुमने तो नहीं ऐसे किया होगा ना?"
"नहीं मालकिन, ई सब तो हम सुनते ही आए हैं। हम लोग तो हॉर्न बजाना बोलते हैं।"
"हाँ, तो वही ! विमला का किसी ने हॉर्न बजा दिया। अब बताओ हम औरतें कैसे चलेंगी सड़क पर? हम को तो आजकल घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है।"
मैंने अपने पल्लू को पूरा सरका दिया, जिससे मेरे मुमे भी नज़र आने लगे।
भोलू नज़र नीचे किए, कनखियों से मुझे घूर रहा था, उसका पाजामा तो बिल्कुल तंबू हो गया था,"मालकिन, अम्मा ने कहा था कि आप नौकरी लगवा दोगी?"
"हाँ, एक जान पहचान का आदमी है। थोड़ी देर में आएगा। सोच रही हूँ तुम दोनों के लिए चिकन बना दूँ। तू जाकर मुर्गा कटवा कर ले आ। मैं मसाले भूनती हूँ।"
भोलू मुर्गा लेने चला गया। मैंने सोच रखा था कि आज खाने के बाद जम कर चुदाई करनी है, इसे खिला पिला कर हलाल करना है।
भोलू मुर्गा ले कर आया। पर अब उसका तंबू बैठ गया था। मैं तब तक नाइटी पहन चुकी थी। मेरी नाइटी थोड़ी झीनी थी और मैंने कुछ पहना नहीं था।
मेरी बुर को देख कर भोलू का फिर खड़ा होने लगा।
मैंने सोचा कि अब और सब्र नहीं होता, मैंने उसे बेड रूम में आने के लिए कहा।
मैंने अपने भारी चूतड़ बिस्तर पर रखे, फिर कहा,"भोलू अगर तुम किसी से नहीं कहोगे तो हम तुमको अपने हॉर्न बजाने देंगे।"
फिर मैंने उसे पलंग पर बुलाया, उसके हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रखे और उसके पाजामे का नाड़ा खोल दिया। बेचारे ने तो अभी चड्डी पहनना भी नहीं शुरू किया था। सात इंच का लौड़ा फनफनाता हुआ मेरे हाथ में आ गया।
मेरे कहने पर उसने मेरी नाइटी उतार दी। मैंने उसके लंड को धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। वो पागल होता जा रहा था। फिर मैंने उसे चूसना शुरू किया।
उसकी हालत खराब होने लगी।
उसे मैंने कहा,"मादरचोद, अब खड़ा खड़ा क्या देख रहा है? मेरे मम्मे और मेरी बुर क्या तेरा बाप चूस के जाएगा?"
इतना सुनने की देरी थी, वो भूखे नंगे शेर की तरह मुझ पर झपट पड़ा। इतने अच्छे से चूसा कि मेरी बरसों की प्यास मिट गई।
"आह, आह, उई माँ ! ज़ालिम, अब चोद भी डाल।"
मैं उसे चोदने के गुर सिखाती जा रही थी। वो बस मुझे चोदता जा रहा था।
पहली बार मैं बिस्तर पर तीस मिनट लेटी रही

Sunday 17 April 2011

मामी को बच्‍चे की चाहत


लेखक : राजीव वर्मा

पहले मैंने एक कहानी लिखी थी मामी की बुर के मोटे होंठ वो कहानी अपने आप में पूर्ण है, अब जो मैं कहानी बताने जा रहा हूँ यह उसके आगे की है और यह कहानी भी अपने आप में पूर्ण है।
इस बार जब मैं मामी के यहाँ गया तो फिर वो मुझको देखकर काफी खुश हो गईं। वे मेरी तरफ मुस्‍कुराकर देखने लगीं तो मैंने मामी को आंख मार दी। तो बदले में मामी ने भी प्रतिक्रिया दी और मेरी तरफ मुस्‍कुराकर आंख मारी। तो मैं उनकी तरफ देखकर मुस्‍कुराने लगा।
तभी नानी ने कहा- चाय बना लाओ !
और मामी चाय बनाने चली गईं।
मेरी मामी के यहाँ मामी, मामा, नाना, नानी और मेरी आंटी की छोटी बहन रहती थी। आंटी की छोटी बहन की उम्र यही कोई 18-19 साल की होगी। और मामी की उम्र कोई 20 साल की थी जबकि मामा की उम्र कोई 40 साल। आप आश्‍चर्य कर रहे होंगे की ऐसा कैसे हो सकता है। लेकिन ऐसा था क्‍योंकि मामा का पहली वाइफ से तलाक हो चुका था, कारण मामा काफी शराब पीते थे। जो मेरी मामी थी वो गरीब परिवार से थी जबकि मामा अमीर परिवार से इसलिए उनकी शादी जोड़तोड़ करके कर दी गई। जबकि मेरी मौसी मेरे नाना की दूसरी पत्‍नी से पैदा हुई, क्‍योंकि पहली वाली बीवी खत्‍म हो गई थी। यह तो हुआ परिचय। अब आप लोगों को ज्‍यादा बोर न करते हुए कहानी पर आता हूं।
तो मामी चाय बनाने चली गईं और मैं वहीं ड्राइंगरूम में बैठकर नानी और मौसी से बात करने लगा। मेरी मौसी भी कोई कम मस्‍त नहीं है वो तो इतनी मस्‍त है कि क्‍या कहने ! उसकी गाण्ड कोई देख ले तो हाय हाय लंड पूरा खड़ा हो जाए और चूचियाँ बेशक अभी छोटी ही हैं लेकिन इतनी कड़ी कि हाय टॉप पूरा तन जाता ! मानो किसी को आमंत्रित कर रहीं हों ! लेकिन अभी तक मैंने उसको फंसाने के लिए कोई भी तरीका इस्‍तेमाल नहीं किया था।
खैर, मामी चाय बनाकर ले आईं और सबको देने लगीं। मुझको चाय देते हुए अपनी उंगलियों को मेरी उंगलियों से छुआ और मुस्‍कुराईं। और यह मौसी ने देख लिया लेकिन उसने कहा कुछ भी नहीं और अंजान बनी बैठी रही।
चाय पीने के बाद मैंने मौसी से कहा- चलो, घूमने चलते हैं !
और हम दोनों घूमने चले गये। वहाँ पर मौसी मुझे मामी के बारे में बताती रहीं और मैं भी बीच बीच में पूछता रहा। कोई एक घंटा घूमकर हम वापस आये। अभी शाम होने में देर थी तो वो अपनी सहेली से मिलने चली गई।
मैंने नानी से पूछा- मामा कहाँ हैं?
तो वो कहने लगी- वो कहीं शराब पीकर पड़ा होगा !
और वो सुबकने लगीं तो मैंने उनको मनाने के लिए सिर पर हाथ रखा तो वो और जोर से रोने लगीं। वो किसी भी तरह से चुप नहीं हो रही थी। इतने में मामी वहाँ पर आ गईं तो मैं उठा और टीवी चला दिया और उस पर भजन-कीर्तन लगा दिया।
फिर मैंने नानी से कहा- इसे देखो !
तो कई बार कहने पर वो उसे देखने लगीं।
मैंने नानी से कहा- मैं मामी से जाकर बात करता हूँ, तुम टीवी देखो !
और मैं मामी को लेकर दूसरे कमरे में आ गया।
अब तक मामी भी सुबकने लगी थीं, मैं जैसे ही दूसरे कमरे में आया तो मामी मेरे से जोर से लिपट गईं और सुबकने लगीं। मैं मामी को चुप कराने की कोशिश करने लगा और उनके चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से ही दबाने लगा। मैं पहले धीरे-धीरे फिर जोर जोर से मामी के चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से रगड़ रहा था।
मुझे यह जानकर थोड़ा आश्‍चर्य हुआ कि मामी ने पैंटी नहीं पहनी थी। मुझे लगता है कि मामी ने मुझे देखकर अपनी पैंटी उतार दी होगी ताकि चुदवाने में परेशानी न हो।
मैंने मामी की साड़ी को ऊपर उठाया और उनके नंगे चूतड़ों को दबाने और रगड़ने लगा। उफ़्फ़ ! गाण्ड कितनी चिकनी और मस्‍त चूतड़ थे मामी के। जहाँ पर भी हाथ रखता वहाँ से हाथ फिसल जाता ! मैं अपनी एक उंगली उनकी चूत के पास ले गया और दोनों होंठों के बीच डालकर सहलाने लगा। सहलाते-सहलाते मैं अपनी उंगली उनकी चूत के दाने पर ले गया और जोर से रगड़ दिया। इससे मामी जोरों से चिहूंक उठी और मुझे और भी जोरों से जकड़ लिया।
अब मैंने मामी से कहा- अपना सिर ऊपर उठाओ !
जब मामी ने अपना सिर ऊपर उठाया तो मैंने अपने होंठ मामी के होंठों पर रखे और उनके होंठों को पहले धीरे धीरे चूमने लगा फिर तेजी के साथ चाटने लगा।
अब भला मामी कैसे पीछे रहती, उन्‍होंने भी मेरे होंठो को अपने होठों में भर लिया और चूसने लगी। फिर कुछ देर बाद मामी मुझसे अलग हुईं और मुझसे कहा- तुम ऊपर वाली मंजिल पर चलो, मैं भी अभी आती हूँ।
मैंने मामी की चूचियों को हल्‍के से सहलाया और ब्‍लाउज को ऊपर किया तथा दोनों चूचियों पर अपनी जीभ फिराई और बिना कुछ बोले ऊपर चला गया। मैं इंतजार कर रहा था कि मामी आयेंगी तो मैं उनको किस तरह से चोदूंगा।
करीब आधे घंटे बाद मामी आई और मुझसे लिपट गईं। मैं मामी को धीरे धीरे सहलाने लगा और उनकी साड़ी ऊपर कर दी और उनके नंगे चिकने चूतड़ों को हथेलियों में भर लिया और दबाने लगा। मामी के मुंह से वासनायुक्‍त हल्‍की-हल्‍की सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने मामी को पीठ के बल लिटा दिया और क‍हा- देखूँ मामी ! तुम्‍हारे पेट में मेरा बच्‍चा आ गया है या नहीं !
और यह कहते हुए मैंने मामी की साड़ी को ऊपर खींच दिया।
मामी बोली- अभी बच्‍चा नहीं आया है।
मैंने पूछा- क्‍यों ?
तो उन्‍होंने कहा- पिछली बार तुम चोद कर तो गये थे लेकिन जब तुमने चोदा था तो उसके दो दिन पहले ही माहवारी आई थी इसलिए पेट में बच्‍चा नहीं ठहरा है।
मैंने कहा- मामी कोई बात नहीं ! मैं इस बार जब जाऊंगा तो तुम्‍हारे पेट में अपना बच्‍चा डालकर जाऊंगा। अब ठीक है अब खुश हो जाओ।
तो मामी मुस्‍कुरा पड़ी क्‍योंकि मैं जानता था कि मामा की इतनी क्षमता नहीं है कि वो मामी को बच्‍चा दे सकें।
अब मैंने मामी की टांगों को चौड़ा किया और उनकी दोनों टांगों के बीच में लेटकर अपना सिर मामी के नंगे पेट पर रख दिया और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उनकी चूत के होठों को सहलाने लगा। मामी धीरे धीरे तड़प रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी।
जब मामी को सब्र नहीं हुआ तो उन्‍होंने खुद ही कहा- अब और न तड़पाओ और जल्‍दी से चूत चाटो।
मैंने अपना सिर उठाया और मामी की चूत के पास ले गया और मामी की बुर के मोटे होंठों को चाटने लगा। अब तो मामी की बुर के होंठ पहले से भी ज्‍यादा मोटे लग रहे थे शायद मेरे चोदने के कारण होठों पर रगड़ लगी और वे और भी ज्‍यादा मोटे हो गये। अब मैं मामी की चूत के होठों को मुँह में भर भर कर चूसने लगा।
मामी को सब्र नहीं हो रहा था और वे मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थी। शायद मामी चाहती थीं कि मैं उनके दाने को कसकर चाटूं लेकिन मैं ऐसा कर नहीं रहा था तो उन्‍होंने मेरा सिर पीछे किया और अपनी उंगलियों से अपनी चूत को खोला और कहा- यहाँ पर चाटो।
मैं मुस्‍कुराकर वहाँ पर चाटने लगा और अब मैं पूरी दक्षता से चाट रहा था। मामी बुरी तरह से बिस्‍तर पर हिल रही थीं और मेरे सिर को पकड़कर दबा रही थीं। मैंने मामी की चूत के दाने को अपने होठों में दबाया और जीभ से जोर से रगड़ दिया। मामी ने एक दबी हुई जोर से चीख मारी और शांत हो गईं। मामी झड़ चुकी थी। अब मामी ने मेरे सिर को ऊपर उठाया तो मेरा मुंह उनके चूत-रस से सना हुआ था। मामी ने मुझको अपने ऊपर खींचा और मेरे मुँह को चाटने लगी। जब वो सब कुछ चाट चुकीं तो मैंने मामी की साड़ी और पेटीकोट को निकाल दिया और उनके पेट पर बैठ गया। मैं मामी की एक चूची को हाथ से पकड़कर धीरे धीरे सहलाने लगा और धीरे से एक नीचे वाला बटन खोल दिया। अब मैं मामी की चूची को दोनों हाथों से ब्‍लाउज के ऊपर से ही सहलाने लगा और साथ ही धीरे धीरे एक एक करके बटन भी खोलता जा रहा था।
फिर जब मैंने सारे बटन खोल दिये तो मामी ने खुद ही अपना ब्‍लाउज उतार दिया। मैंने मामी की खूबसूरत गोरी गोरी चूचियों को हाथों मे भर लिया और अपने होठों को चुचूक पर लगा कर चूसने लगा। उनमें अभी दूध तो नहीं आ रहा था किन्‍तु मैं जानता था कि जल्‍दी ही मेरा बच्‍चा पैदा होगा तो आने लगेगा ही लगेगा।
मामी स्‍नेह से मेरे बालों में हाथ फिर रही थी और ऐसे अपने दूधों को दबा दबा कर पिला रही थीं जैसे कि मैं उनका बच्‍चा हूँ। अब मामी ने मुझे उठाया और पीठ के बल लिटा दिया। इतनी देर तक मजे के दौरान कब मेरे कपड़े मामी ने निकाल दिये मुझे पता ही नहीं चला। अब मामी मेरे लंड को अपनी गोरी गोरी नेलपालिश से सजी उंगलियों से सहला रही थीं। लगता था कि उनका लंड चूसने का इरादा था और हुआ भी यही। मामी ने धीरे से अपने लिपिस्टिक रचे होंठों को लंड के पास लाईं और उसका टोपा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगीं। किन्‍तु इस समय मेरा इरादा लंड चुसाने का नहीं हो रहा था क्‍योंकि मैं इतना उत्‍तेजित हो चुका था अब खुद के संभाले नहीं संभल पा रहा था। कोई एक मिनट बाद ही मैंने मामी का सिर उठाया और उनको पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया। मेरे इस तरह खींचने से मामी को ऐसा लगा मानो मामी प्‍यासी रह गईं हों।
मैंने मामी से कहा- लंड फिर बाद में चूस लेना, अभी मैं तुम्‍हें चोदना चाहता हूँ।
मामी मान गईं और मुस्‍कुरा पड़ीं। अब मामी ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत का निशाना बनाया और उस पर बैठती चली गईं। आह कितना शानदार अहसास था वह ! इतना मजा आया कि इसे शब्‍दों में बयान नहीं किया जा सकता। मानो मैं जन्‍नत में पहुंच गया होऊँ।
उधर मामी की हालत भी मुझसे जुदा नहीं थी। वो तो आँखें बंद किये अपने होंठों को खोले मानो स्‍वर्ग में तैर रही हों। मैंने मामी को अपने ऊपर लिटा लिया और उनके होंठों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। मामी धीरे धीरे ऊपर से झटके लगा रही थीं तो मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था। मैं भी मामी को बाहों में भरकर पहले धीरे-धीरे फिर तेज-तेज जोरदार झटके लगाने लगा।
मैं अपने हाथों को मामी के चूतड़ों पर ले गया। वाह ! कितने अच्‍छे और मजा देने वाले थे मामी के चूतड़ ! हर एक झटके में जब वो ऊपर को उठतीं तो उनके चूतड़ भी ऊपर को उठते और मेरे हाथ पीछे हो जाते और जब वो मेरे लंड पर बैठती तो मेरे हाथ उनके चूतडों पर कस जाते।
वाह क्‍या मजा आ रहा था।
काश मामी की शादी मुझसे हुई होती !
लेकिन अब भला ऐसा कहाँ सम्‍भव था।
कुछ समय बाद मैंने मामी को ऊपर उठाया और दूसरी तरफ मुँह करके बैठने को कहा। मामी मेरे लंड पर बैठे ही बैठे दूसरी तरफ घूम गईं। मैंने मामी के दूध पकड़े और दबा दबा कर मामी को चोदने लगा। इससे मामी को काफी मजा आया। अब मामी की सिसकारियाँ तेज हो गई थीं, लग रहा था कि वो झड़ने वाली थी।
मैंने मामी को अपने ऊपर से उतारा और नीचे बिस्‍तर पर लिटा दिया और अपना लंड डालकर जोर जोर से चोदने लगा।
मैंने मामी से कहा- मेरा बच्‍चा पैदा करोगी?
तो उन्‍होंने कहा- मैं तुम्‍हारा ही बच्‍चा पैदा करने के लिए ही तो तुमसे चुदवा रही हूँ ! वरना क्‍या कोई और नहीं है चोदने के लिए ! मैं तुम्‍हारा ही बच्‍चा पैदा करूंगी।
अब मैं मामी को जोर-जोर से चोद रहा था और मामी की सिसकियाँ निकल रही थीं। मामी ने एक जोर से हिचकी ली और झड़ने लगी।
मुझे लगा कि अब मेरा भी निकलने वाला है तो मैंने मामी को आगाह किया कि मेरा निकलने वाला है, और पूरी ताकत से मामी के दूधों को पकड़ा और जोर से धक्‍का मारा। मेरा वीर्य निकल रहा था और मैं उनके दूधों को पकड़े जोर-जोर से धक्‍के मारता ही जा रहा था। दस बारह धक्‍कों में जब मेरा वीर्य पूरा निकल गया तो मैं मामी के ऊपर ही लेट गया और मामी ने मुझको जोरों से जकड़ लिया। अब मैं इस चुदाई लीला को ज्‍यादा क्‍या लिखूं ?
हमेशा से ऐसा होता आया है और सभी लोग जानते हैं कि चुदाई कैसे की जाती है।
संक्षेप में इतना जान लीजिए कि हम दोनों ने ऐसी चुदाई की कि दोनों पूरी तरह से संतुष्ठि की कगार पर पहुँच गये।
मामी मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी और मैं आराम से लंबी दूरी के घोड़े जैसी दौड़ लगाकर उनके ऊपर लेटा हुआ था। फिर मामी ने मुझसे अपने ऊपर से उठने को कहा तो मुझे होश आया
और मैं उनके ऊपर से उठा।
मामी ने मुझसे कहा- काश ! तुम मुझे पहले मिले होते तो मैं तुम्‍हीं से शादी करती।
मैंने मामी से कहा- चाहता तो मैं भी हूं कि तुम्‍हारे साथ रहूँ, किन्‍तु अब भला कैसे हो सकता है। अब ऐसे ही जैसे चल रहा है वैसे ही ठीक समझो।
मामी ने मुझे चूमा और अपने कपड़े पहनते हुए कहने लगी- अब काफी देर हो गई है अब नीचे चला जाए।
मैंने घड़ी देखी तो डेढ़ घंटे से भी ज्‍यादा हो गया था। मैंने मामी के पास जाकर उनकी जोर से पप्‍पी ली और कहा- अब तो तुम्‍हें बच्‍चा हो जायेगा !
तो उन्‍होंने कहा- हाँ ! हो तो जायेगा, लेकिन तुम अभी घर न जाना और मुझे कुछ दिनों तक चोदो।
मैं मान गया और कई दिनों तक मामी को चोदता रहा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल करें !

साली बनी घरवाली


दोस्तो, मेरा नाम राज है और में पंजाब से हूँ।

मैंने अन्तर्वासना पर बहुत कहानिया पढ़ी हैं, उनमें से कुछ सच्ची होती हैं और कुछ में मसाला भी डाला होता है। पढ़ते-पढ़ते मैंने भी सोचा कि मैं भी अपना एक मात्र किस्सा लिख दूं !
दरअसल बात उस समय की है जब मेरी उम्र सिर्फ बाईस वर्ष रही होगी, मेरी शादी हुई को अभी आठ महीने ही हुए थे कि ससुराल वालों ने मेरी साली की शादी तय कर दी। मैंने जिंदगी में पहली बार अपनी पत्नी से ही सेक्स किया था और कभी किसी दूसरी लड़की के साथ मेरे सम्बन्ध नहीं रहे थे, मैंने कभी कोशिश भी नहीं की थी।
मेरे ससुराल में मेरी एक सगी साली थी और तीन चाचा-ताया की लड़कियाँ थी। ताया की लड़की नाम रेनू और उम्र लगभग उन्नीस वर्ष, देखने में बहुत ही सेक्सी और प्यारी लगती है। वैसे देखने में तो मेरी बीवी भी कम नहीं पर बीवी और साली में फर्क यह है कि साली का वक्ष और कूल्हे कुछ ज्यादा ही सेक्सी हैं।
उस दिन हम शाम करीब तीन बजे ससुराल में पहुँचे। पहुँचते ही हमारा स्वागत मेरी सगी साली ने किया, वो दरवाजे पर ही मिल गई थी। उसके बाद हम घर के बाकी लोंगों से मिले और फिर सब धीरे धीरे अपने अपने काम में लग गए। ताया की लड़की रेनू पाँच बजे हमारे पास आई, आकर अपनी बहन को गले मिली, जबकि मुझे नमस्ते करके बैठ गई।
तो मैंने पूछा- क्या मुझे गले नहीं मिलोगी?
तो उसने मजाक में कहा,"आप से गले मिलने से कहीं आपको कर्रेंट न लग जाये !"
मैंने कहा,"कितनी वोल्ट है ?"
तो बोली,"यह तो मिलने से ही पता चलेगा !"
मैंने अपनी बीवी की तरफ देखा और उसे कहा,"तुम बताओ कि कहाँ मिलना है?"
मेरी बीवी ने और मैंने इसे मजाक ही समझा था लेकिन रेनू दे अन्दर कुछ और चल रहा था। उस वक्त बात आई-गई हो गई। फिर वो भी अपने अपने काम में लग गई। मैं अपने साले के साथ बाज़ार में चला गया और हम रात आठ बजे के करीब आये। विवाह के कारण किसी साली से जयादा बात नहीं हो पाई और ऐसे ही रात के दस बज गए।
रात दस बजे तक रेनू घर में रही और ऐसे ही घर में काम करती रही। मुझे अपने घर में जल्दी सोने की आदत है सो मैं दस बजे सो गया। हमारा बिस्तर अलग लगाया गया था, तो मैं अकेले ही सोने चला गया, मैंने सोचा मेरी बीवी बाद में आ जाएगी।
जब मेरी बीवी आई तो मैंने समय देखा, रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे, मेरी बीवी ने दरवाजा लगा दिया, चिटकनी नहीं लगाई थी। हम बेड पर सोने चले गए। दोनों ने प्यारर से एक दूसरे को चूमा और थकावट होने के कारण बातें करते करते हमें पता ही नहीं चला कब नींद आ गई।
सोते सोते मुझे अचानक दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मैंने देखा मेरी बीवी बेड पर नहीं थी और रेनू मेरे कमरे में आ रही थी। मैंने समय देखा तो रात का डेढ़ बज रहा था।
मैंने रेनू से पूछा,"किरण (मेरी बीवी) कहाँ है?"
तो उसने बताया,"वो तो बारह बजे ही लड़कियों के साथ मेहँदी लगाने चली गई थी, मैं भी वहाँ थी, सब लड़कियाँ वहाँ ही सो जाएँगी।"
तो मैंने पूछा,"रेनू, तुम यहाँ क्यों आ गई?"
तो बोली,"मुझे नींद नहीं आ रही थी तो सोचा जीजाजी के पास चलते हैं !"
सच मानो उसे देख कर मेरा भी मन मचलने लगा था और मेरी सारी नींद उड़ चुकी थी। मैंने रेनू से पूछा,"बाहर कौन-कौन जग रहा है?"
तो उसने कहा,"मैं सब देख कर आई हूँ, बाहर इस घर में कोई भी जाग नहीं रहा है।"
बात करते करते ही उसने धीरे से दरवाजे की कुण्डी लगा दी।
मैंने कहा,"अगर तुम्हरी बहन आ गई और उसने ऐसे देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी।"
रेनू पहले से ही गर्म थी, पता नहीं कब से मन में यही सोच रही होगी। रेनू की आँखों में देखने से पता चल रहा था कि वो बहुत गर्म है और चुदाई के पागल हो रही है।
मैंने उसको पकड़ा और बाँहों में लेकर चूमा वो तो मुझ से चिपक ही गई थी।
मैंने उसे मजाक में पूछा,"रेनू, तुझ में तो बहुत करंट है?"
रेनू तो जैसे समय देखकर आई थी और चुदाई के लिए पागल हो रही थी, बोली,"राज मैं तुम से बहुत देर से इस प्यास को मिटाने के लिए तरस रही थी, आज मौका मिला है, मैं इसे खोना नहीं चाहती !"
और मुझसे और जोर से लिपट गई।
मैंने मौके का फायदा उठाना शुरू किया, उसे जोर से जफ्फी में लिया। पाँच-छः मिनट ऐसे ही रहने के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके स्तनों को सहलाना शुरू किया। उसे भी मज़ा आ रहा था, उसने भी सहलाना शुरू किया और धीरे धीरे उसका हाथ मेरे पजामे की तरफ चला गया।
मेरा लंड भी अपने पूरे जोश में था, मैंने उसका कुरता ऊपर उठाया और उसने भी कुरता निकालने में देर नहीं लगाई, मैंने साथ ही उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, उसके गोरे मम्मे बड़े रसीले थे, मैंने धीरे-धीरे उसको चाटना शुरू किया, उसके चुचूक को दबाया, उसके मुँह से धीरे-धीरे आवाजें आनी शुरू हो गई थी।
इसी बीच उसने मेरे पजामे में हाथ डाल दिया और मेरा पजामा नीचे कर दिया। पांच मिनट चूसने के बाद मैंने उसकी चूत को ऊपर से ही सहलाना शुरू किया, उसकी चूत तो पहले ही काफी गीली हो रही थी, मैंने उसका नाड़ा खोल दिया, उसकी सलवार को नीचे सरका दिया।
रेनू बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी, नड़ा खुलते ही बोली,"राज अब देर मत करो ! मुझे और मत तरसाओ।"
मैंने उसकी गोरी टांगों को चूमना शुरू किया। फिर मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठाया और उसकी टाँगों के बीच में अपने घुटनों के बल बैठ गया। इससे मेरा लंड उसकी चूत के बिल्कुल नज़दीक आ गया था। मैंने लंड का टोपा उसकी चूत के ऊपर लगाया और हल्का सा धक्का लगाया। चूत पूरी गीली थी और आधा लंड अंदर चला गया।
इस तरह मैंने पहले कभी अपनी बीवी से सेक्स नहीं किया था, मुझे इसमें दिक्कत आने लगी। मैंने उसकी एक टांग नीचे करके एक टांग अपने कंधे पर रख ली। इस तरह लंड अच्छी तरह अंदर चला जाता है, मैंने फिर उसकी चूत में लंड डालने की क्रिया शुरू की। पूरा लंड अंदर जाते ही उसने मुझे जोर से भींच दिया। मुझे पता चल गया कि रेनू ज्यादा देर तक रह नहीं पायेगी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसका पूरा मुँह बंद कर दिया और जोर से धक्का लगाया। जोर से धक्का लगाने से मुझे महसूस हुआ कि रेनू को कुछ दर्द हुआ है सो मैंने अपना लंड दबा कर रख कर कुछ देर तक उसको सहलाने की क्रिया शुरू की।
रेनू ने कहा,"राज, मेरी प्यास बुझा दो !"
मैंने काम शुरू कर दिया और जोर से धक्का लगाना शरू कर दिया, रेनू ने भी नीचे से अपने कूल्हे हिला-हिला कर साथ देना शुरू कर दिया था।
रेनू दो मिनट में ही चरम पर पहुँच गई और ठंडी पड़ गई। मैंने कुछ देर रुकने के बाद उसको घोड़ी की अवस्था में किया और पीछे से उसकी चूत को चोदना शुरू किया। दो मिनट में मेरा भी पानी निकल गया।
मैंने उसको लिटा दिया।
हम दोनों कुछ देर इसी दशा में रहे, फिर मैंने पूछा- रेनू कैसा लगा जीजा का करंट?
उसने मुस्कुरा कर मुझे चूम लिया और कहा- जीजाजी, आप बहुत शरारती हो ! अब मैं आपकी साली नहीं रही !
मैंने कहा- रेनू, मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसे नहीं सोचा था। लेकिन साली का ख्याल रखना भी तो जीजा का फ़र्ज़ होता है, अब जब तक तुम्हारी शादी नहीं होती, तुम जब चाहो अपनी प्यास मिटा लेना, लेकिन अपनी दीदी का ख्याल रखना !
जीजा-साली का यह सिलसिला डेढ़ साल तक चला, हम कई बार मिले और मैंने साली को पूरी घरवाली बना डाला। अब वो भी अपनी शादी के बाद अपने घर में खुश है और मैं भी खुश हूँ। रेनू की शादी के बाद हम दोनों ने कभी वैसा नहीं किया, अब हम दोनों जीजा-साली की तरह ही मिलते हैं और सब ठीक-ठाक है।
दोस्तों यह असली कहानी कैसे लगी

शिवानी की कुंवारी चूत


प्रेषक : राज कुमार सिंह

हेल्लो दोस्तो, मेरा नाम राज है और मैं आज आपको अपनी जिन्दगी की पहली यौन-कथा बताने जा रहा हूँ। मैं मथुरा में रहता हूँ।
यह उस समय की बात है जब हमारे पड़ोस में एक नई लड़की अपने मामा के यहाँ रहने आई। उसका नाम शिवानी था। वो कानपुर की रहने वाली थी, उसका रंग गोरा था, उसके स्तन एकदम सेब की तरह थे। उसके कूल्हे मस्त थे, जब वो चलती थी तो उसके कूल्हों की उठा-पटक देख कर गली के लड़कों के लंड चैन तोड़ने के लिये बेकरार हो जाते थे।
वो कभी-कभी हमारे घर टीवी पर मूवी देखने आ जाती थी। जब वो हमारे यहाँ आती थी तो मेरी नजरें सिर्फ़ उसके कूल्हों पर ही रहती थी। उसके स्तन उसकी चोली को फाड़ने के लिये बेबस होते नजर आते थे।
एक दिन हमारे घर के सभी लोग एक शादी में गये थे। शिवानी के घर वाले बाहर गये हुए थे। वो जाने से पहले शिवानी को हमारे घर ही रात को सोने के लिये बोल गये थे। उस दिन जब वो हमारे यहाँ आई, तब मैं अपने घर में इंगलिश मूवी देख रहा था, वो चुपचाप आकर मेरे पीछे खड़ी हो गई मैंने उसे नहीं देखा, मूवी में चुदाई का सीन आ रहा था। लड़का अपना लंड लड़की की गांड में देकर चुदाई का मजा लूट रहा था।
मैं भी अपने मोटे लंड को हाथों में लेकर बैठा था, मेरा लौड़ा तनता जा रहा था, अचानक मेरे पीछे रखे गिलास के गिरने की आवाज आई तो मैंने घूम कर देखा तो शिवानी मेरे पीछे खड़ी मूवी को बड़े ध्यान से देख रही थी, उसकी आँखें बिल्कुल लाल हो रही थी। मैंने जल्दी से पास पड़े तौलिए को उठा कर अपने लौड़े पर डाल लिया।
वो भी सकपका गई। मैंने उसको अपने पास बैठने के लिये बोला तो वो आकर बैठ गई।
मैंने उससे पूछा- तुम कब आई?
तो वो शरमाते हुए बोली- जब हीरो हिरोइन को चूम रहा था तब।
मैं समझ गया कि उसने पूरी चुदाई देखी है। मैंने उसके हाथ को छुआ तो वो पूरी कांप रही थी, मेरे हाथ पकड़ने का उसने कोई विरोध नहीं किया। मैं समझ गया कि आज तो जिंदगी का मजा लूटा जा सकता है, मैंने उससे पूछा- आज हमारे यहीं रूकोगी क्या ? क्योंकि आज हमारे यहां भी कोई नहीं है।
मैं यह जानना चाहता था कि उसके मन में क्या है।
तो वो बोली- मुझे अकेले डर लगता है।
मैं खुश हो गया, मेरा लौड़ा चोदने के लिये बेकरार था, उसने लाल रंग की गहरे गले की चोली पहन रखी थी, उसके स्तन ऊपर से बाहर झांक रहे थे, वो बहुत सेक्सी लग रही थी।
मैंने उसको खाने के लिये मिठाई दी, रात काफ़ी हो चुकी थी मैंने टीवी का चैनल नहीं बदला था। थोड़ी देर बाद फिर चुदाई के दृश्य आये तो मैं उसकी तरफ़ देखने लगा। उसकी आँखें सेक्स से भरी नजर आ रही थी।
हीरो ने जैसे ही अपना लौड़ा बाहर निकाला तो उसके मुँह से उफ निकला। मेरा लौड़ा भी तन रहा था, मैंने उसके कंधों पर अपना हाथ रखा तो वो बिल्कुल मेरे करीब आ गई। मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैं अपने हाथ को धीरे-धीरे उसके सख्त स्तनों के ऊपर ले जाकर उनको सहलाने लगा। उसके मुँह से मीठी-मीठी आवाजें आने लगी। मैंने उसकी चोली को धीरे से ऊपर सरकाना शुरु कर दिया।
नीचे उसने ब्रा भी नहीं पहन रखी थी। वो मस्त होती जा रही थी। वो बोली- मुझे डर लग रहा है।
मैंने पूछा- क्यों जान?
तो वो बोली- मैंने आज तक सेक्स नहीं किया है !
मैंने सोचा कि मुझे बना रही है, मैं बोला- डरो मत ! मैं सिखा दूंगा।
मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ रख दिया तो देखा उसकी चूत ने पानी छोड़ रखा था। मैं धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाने लगा। उसने मुझे बाहों में भर लिया। मैंने उसकी कच्छी को उतार दिया। वो शरमा गई। फिर मैंने उसको कहा- अब मेरे कच्छे को उतार !
वो फ़िर शरमा गई, तब मैंने अपने लंड को आजाद कर लिया। वो मेरे लंड को प्यासी नजरों से देखने लगी और बोली- यह तो बहुत मोटा है, मेरी चूत तो फट जायेगी।
मैंने कहा- रानी। यह तुझे जवानी के मजे देगा।
वो बोली- अब मैं क्या करूँ?
तो मैंने कहा- जिस तरह हिरोइन कर रही है वैसे ही कर !
उसने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और हिलाने लगी। फिर धीरे से लौड़े को अपने मुँह में लेने लगी। मेरा लंड इतना मोटा था कि उसके मुँह में नहीं आ रहा था, वो उसे चाटने लगी। मेरा लंड बार बार हिल रहा था, उसको लंड चाटने में मजा आ रहा था। वो बोली- यह इतना मस्त लग रहा है कि दिल कर रहा है कि इसको खा जाऊँ !
मैंने कहा- जान, अगर तो इसको खा जायेगी तो मैं तुझे कैसे चोदूंगा ?
फिर धीरे-धीरे उसने लंड के टोपे को मुँह में ले ही लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मैं अब उसकी चूत में अपनी उंगली डालने के लिये चूत पर घुमाने लगा। उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे, उसकी चूत बहुत उभरी हुई थी पर मेरी उंगली उस चूत में नहीं गई तो मैं समझ गया कि वो बिल्कुल नई है। मैं बहुत खुश हुआ कि आज तो कुंवारी चूत की सील तोड़ने का मौका मिल ही गया।
मैंने उसको बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले गया। उसको बड़े प्यार से बिस्तर पर लेटा दिया, अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, उसके कूल्हे वास्तव में जैसे बाहर से दिखते थे उससे भी कहीं ज्यादा गोल और सख्त थे। मैंने उससे कहा- अपनी टांगें चौड़ी कर ले !
उसने वैसा ही किया, अब मेरा लौड़ा उसकी सील तोड़ने के लिये मस्त हो रहा था।
मैंने अपने लंड को शिवानी की कुंवारी चूत से भिड़ाया तो वो मस्ती से हिल पड़ी। मैं धक्का लगाने को बिल्कुल तैयार था, मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत में थोड़ा सा लगा कर धकेला तो वो चिल्ला पड़ी- हाय, मेरी चूत फट जायेगी !
तब मैंने अपने लंड को वापस बाहर निकाल कर उस पर क्रीम लगाई और वापस लौड़ा उसकी चूत में डालने लगा।
वो दर्द से तड़प उठी, वो अपने कूल्हों को हिलाने लगी तो मैंने कहा- जान, बस एक बार थोड़ा सा दर्द होगा ! फिर जिंदगी भर तुम लंड के मजे ले सकती हो !
वो बोली- आज तो मैं मजे लेकर रहूँगी !
उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मेरा लौड़ा 8 इंच का है। मैंने धीरे-धीरे लौड़े को चूत में डालना शुरू किया। दो धक्कों में लंड का टोपा उसकी मस्त चूत में घुस गया। वो दर्द से तड़प गई। मैं दो मिनट के लिये वैसे ही लेटा रहा। उसने अपनी चूत को जैसे ही थोड़ा ढीला किया मैंने एक जोर का हिट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा घुस गया।
वो बुरी तरह चिल्ला उठी- हाय मार डाला !
उसकी चूत से गर्म-गर्म खून आने लगा। शायद उसने नहीं देखा, मैं कुछ देर रुक गया, थोड़ी देर में उसने अपने कूल्हे हिलाने शुरू कर दिये तो मैं समझ गया कि अब दर्द कम हो रहा है। बस फिर मैं अपने लंड को हिलाने लगा उसकी चूत में मेरा लंड टकराने लगा वो हिल हिल कर लंड का स्वाद लेने लगी। मैं 20 मिनट तक उसकी चूत को अपने लंड से चोदता रहा।अब वो भी पूरे मजे ले रही थी। मेरा लंड कसी चूत में रगड़ रगड़ कर घायल हो गया। उसकी मस्त चूत ने पानी छोड़ दिया।
उसकी चुदाई में मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरा लंड उसकी चूत को नहलाने को तैयार था। मेरे लंड की तेज पिचकारी ने शिवानी की चूत को पूरा भर दिया, उसने अपनी टांगें जब तक ढीली नहीं की जब तक मेरे वीर्य की आखिरी बूंद नहीं निकल गई।
अब हम दोनों अलग हो गये।
वो बहुत खुश नजर आ रही थी, मेरे होंठों को चूम कर वो बोली- आज तूने मुझे लड़की होने का मजा दे दिया ! आज मैं पूरी रात इस मजे को लूंगी !
मैंने भी कह दिया कि तेरी चूत बहुत कसी थी पर मेरे इस लंड ने आखिर उसे फाड़ ही दिया।
वो बोली- तेरा लंड नहीं। यह तो हथौड़ा है ! यह दीवार में भी छेद कर दे ! यह तो मेरी कुंवारी चूत थी।
फिर वो रसोई में जाकर दूध ले आई। हम दोनों ने दूध पिया। मैं बाथरूम में जाकर अपने लंड को धो आया। आज मैं बहुत खुश था।
वापस आते ही उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो बोली- आज इसने मेहनत की है ! देखो, लाल हो गया है !
थोड़ी देर में मेरा लंड फिर चुदाई के लिये तैयार था। इस बार मैंने उस को घोड़ी बना कर चोदा। वो आज बहुत खुश थी। जिंदगी में मैंने ऐसी चुदाई पहली बार की। मजे की बात तो यह थी कि वो और मैं तीन दिन तक अकेले रहे। हम दोनों ने तीन दिन और तीन रात मैं 14-15 बार सेक्स का मजा लिया। उसके बाद वो अपने घर कानपुर वापस चली गई पर दोबारा आने को कह गई।
अब इन्तजार है कि अगले महीने वो आयेगी तो आगे की कहानी फिर आने पर सुनाउंगा।

बड़े घर की लड़की की बड़ी प्यास


मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 24 साल है। मैं बचपन से ही गर्म किस्म का इंसान हूँ, हसीन लड़की या औरत मेरी कमजोरी है ! मेरा लंड 9 इंच बड़ा है, जिसकी प्यास बुझाना सबके बस की बात नहीं !

मैं अपनी पहली कहानी लेकर आपके सामने आ रहा हूँ, क्योंकि मैं चाहता हूँ कि आप मुझे मेरे लंड की प्यास बुझाने का कोई उपाय बताएँ ! मेरा पहला सेक्स आपके सामने हाज़िर है !
मैं गुडगाँव से अपने कमरे पर जा रहा था जहाँ मैं अकेला रहता हूँ। मैंने कभी कोई साथी कमरे में नहीं रखा क्योंकि रात में मेरे सेक्स की आग जाग जाती है और मैं आग में जलने लगता हूँ और आप सोच ही सकते हैं कि मेरे साथ में रहने वालों का क्या हाल होगा ?
मेरे कई दोस्त मेरे लंड का स्वाद ले चुके हैं ! ये तो मेरी यौनेच्छा की बात है। मुझे कमरे तक पहुँचने के लिए बस या काल सेंटर की गाड़ी पकड़नी पड़ती है। मैं सड़क पर खड़े होकर गाड़ियों को हाथ दे रहा था कि तभी एक लम्बी कार मेरे सामने आकर रुकी, शीशा खुला, मैं देखते ही मानो होश खो बैठा ! ऐसा फिगर मैंने आज तक नहीं देखा- 36-24-32, क्या चूचियाँ थी ! गोरे गाल बिल्कुल दूध की तरह, गुलाबी होंठ जैसे बुला रहे हों कि आओ हमें चूस लो ! काले और लम्बे बाल, जो खुले हुए थे, उसकी उम्र लगभग 25 साल होगी, वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मुझे लगा कि मैं खड़े-खड़े झड़ जाऊँगा।
उसने पूछा- कहाँ जाना है आपको?
.........नेहरू प्लेस !
उसने अंदर आने का इशारा किया और मैं चुम्बक की तरह आगे वाली सीट पर बैठ गया। मेरी नज़र उसकी चूचियों से हट ही नहीं रही थी, उसके गोरे गालो को चूमने का मन कर रहा था। उसने लाल रंग का शॉर्ट टॉप और काले रंग की जींस पहन रखी थी।
........क्या देख रहे हो? उसने कहा।
तो मैं झिझक गया ....नहीं कुछ तो नहीं ! आप इतनी सुन्दर हैं कि कोई भी आपको देखता ही रह जाएगा !
उसने अपना हाथ गेयर की तरफ बढ़ाया और मेरी घुटने पर रख दिया। तभी मेरा लौड़ा और तन गया ! मैंने अपने लंड को दोनों हाथों से छिपा रखा था ताकि वो देख ना ले !
उतारते समय उसने अपना विज़िटिंग कार्ड देकर अगले दिन आने को कहा।
सॉरी, मैं उसका नाम बताना भूल गया- उसका नाम कोमल था,
अगले दिन मैं दिए पते पर पहुँच गया !
दरवाजा खुला, आज कोमल कल से ज्यादा स्मार्ट लग रही थी !
उसने मुझे चाय के लिए पूछा, मैंने मना कर दिया।
कोमल उंगली का इशारा करके अपने बेडरूम में चली गई। पीछे पीछे मैं भी चला गया। वो अपने कपड़े उतारने लगी !
........तुम कल क्या देख रहे थे ?
मैंने सोचा कि तुम्हें आज सब कुछ दिखा देती हूँ.....
इतना सुनते ही मैंने उसके होंठ चूस लिए, वो तड़प उठी जैसे बिन पानी मछली !
कोमल ने आज काले रंग की ब्रा और काले रंग की ही पैंटी पहन रखी थी। उसका जिस्म फूलों की तरह महक रहा था !
उसने अपने काले और लम्बे बाल खोल कर कहा- देख लो, जो देखना चाहते हो ! जितना करीब से चाहो !
मैं भूखे शेर की तरह टूट पडा !
मैं उसकी गोल-मटोल चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। वो मुझसे लिपट गई।
मुझे लगा कि मुझसे भी ज्यादा लोग गर्म हैं इस दुनिया में, जो जिस्म की आग में तप रहे हैं !
मैंने कोमल के जिस्म से आखिरी कपड़े भी अलग कर दिए !
अब वो मेरे कपड़े उतारने लगी तो मैं उसकी पीठ सहलाने लगा।
मैंने धीरे से उसके कान को काट लिया, उसके मुँह से उफ्फ्फ्फफ्फ़ की आवाज़ आई। वो मुझसे सांप की भांति लिपट गई।
मैंने उसे उठा कर उसकी चूचियों को मुँह में लेना चाहा तो उसने पहले चूत की तरफ इशारा किया।
मैं तभी चूत की तरफ मुड़ गया ! कोमल की चूत बिलकुल टमाटर की तरह लाल और अंगूर की तरह छोटी थी।
मैंने चूत को मुँह में ले लिया और जोर जोर से चाटने लगा ! उसके मुँह से आह आह आह आह आह आह आह आह की आवाज़ निकलने लगी।
उसने एक हाथ से मेरा लण्ड सहलाना शुरु कर दिया। उसका एक हाथ मेरे सर पर था, वो मुझे ऐसे दबा रही थी कि मानो कह रही हो- मेरी चूत में घुस जाओ !
इतनी कामुक औरत मैने अपनी जिंदगी में नहीं देखी !
मैं कोमल के ऊपर आ गया। अब मेरा लंड उसके मुँह में था और मैं उसकी चूत का स्वाद ले रहा था !
वो लंड को ऐसे चूस रही थी कि जैसे लग रहा था कि काट कर खा जाएगी !
मै उसे मना नहीं कर पाया, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था !
20-25 मिनट तक हम एक दूसरे को चाटते रहे ! इस बीच वो दो बार पानी छोड़ चुकी थी मगर मेरा निकल ही नहीं रहा था !
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकालना चाहा तो जिद करने लगी- मुझे पानी पीना है !
मैंने समझाया- चूत में डालेंगे तो पी लेना !
वो मान गई !
मैंने उसके होंट चूसना शुरु कर दिए और एक हाथ से कोमल की चूची मसलने लगा। वो मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी। उसका हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था। वो जिस्म की आग से तप रही थी। उसने मुझे अपनी ओर खींचा जैसे कह रही हो- मेरे जिस्म मे समा जाओ !
मैंने उसके जिस्म को ऐसे चाटना शुरु किया जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो !
वो उफ़ उफ़ उफ़ किये जा रही थी और कह रही थी- फाड़ दो ! मेरी चूत फाड़ दो ! मेरी प्यास बुझा दो ! जानू मेरी चूत को चोद कर भोसड़ी बना दो ! मेरी प्यास बुझा दो ! मेरे जिस्म को ठंडा कर दो ! मेरी आग बुझा दो !
करीब 30 मिनट तक मैं उसे चाटता रहा ! उसने मुझे ऊपर खींच लिया- डाल दो, डालो न ! क्यों तड़पा रहे हो ? प्लीज डाल दो जानू ! मेरी जान, मेरी चूत में घुस जाओ !
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा ही था कि वो दर्द के मारे रो उठी, मैं समझ गया कि वो कुंवारी बुर थी !
बिस्तर पर खून ही खून !
वो डर गई !
मैंने उसे समझाया कि ऐसा पहली बार में होता है, बस थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा।
मैं जोर जोर से झटके मार रहा था और कोमल भी मेरा साथ दे रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दर्द हो ही न रहा हो !
मैंने पूछा तो बोली- दर्द से बड़ी प्यास है ! पहले मेरी प्यास बुझ जाये ! प्लीज फाड़ डालो ! होने दो दर्द ! फट जाने दो मेरी चूत को !
मेरा 9 इंच का लंड उसकी योनि के अंदर ऐसे जा रहा था जैसे कोई गर्म छड़ हो ! और वो बार बार कह रही थी- साली को फाड़ दो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! मेरी जान, मेरे प्यारे राजा !
मैं उसकी चूत चोद ही रहा था कि अचानक दरवाज़ा खुला !
अब मेरे पैरों तले जमीन नहीं रही !